Panditji Online – जाने सम्मोहन के नियम क्या है।
सम्मोहन विद्या में दूसरों को वश में करने से पूर्व स्वयं अपने मन को अपने वश में करना परम् आवश्यक है।जब आपका मन आपके नियंत्रण में हो जाय तो दूसरों को वशीभूत करना तो फिर बहुत आसान है।
सम्मोहन में प्रवीणता हासिल करने के लिए सिर्फ तीन ही नियम है। पहला अभ्यास, दूसरा और ज्यादा अभ्यास तथा तीसरा और अंतिम नियम है अभ्यास………………..और निरन्तर अभ्यास।
आप सोच रहे होंगे कि सम्मोहन कोई गणित या फिर कोई जादू का खेल नही है। फिर किस चीज का अभ्यास…………………..औऱ निरन्तर अभ्यास किया जाय?आपकी जिज्ञासा का उत्तर हैं-त्राटक का अभ्यास।इस विद्या को हासिल करने के लिए प्रथम सीढ़ी हैं त्राटक का अभ्यास।यही वह साधना हैं जिसका निरन्तर अभ्यास करने से आपकी आंखों में अद्धभुत चुंबकीय शक्ति जागृत होने लगती हैं और यहीं चुम्बकीय शक्ति दूसरे प्राणी को सम्मोहित करके अपनी और आकर्षित करती हैं।
भारतीय मनीषियों ने जहां एक ओर सम्मोहन सीखने के लिए यम , नियम , आसन ,प्राणायाम , योग , प्रत्याहार , ध्यान , धारणा और समाधि जैसे आवश्यक तत्व निर्धारित किये हैं।वहीं दूसरी ओर पाश्चात्य विद्वानों और सम्मोहनवेत्ताओं ने हिप्नोटिज्म में प्रवीणता प्राप्त करने के लिए सिर्फ प्राणायाम और त्राटक की महत्वत्ता पर ही जोर दिया है। पाश्चात्यवेत्ताओं का मानना है श्वास-प्रश्वास पर नियंत्रण एवं त्राटक द्वारा नेत्रों में चुम्बकीय शक्ति को जाग्रत करके ही मनुष्य सफल हिप्नोटिस्ट बन सकता हैं।
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सम्मोहन के लिए नेत्रों में विचित्र चुम्बकीय शक्ति का होना अति आवश्यक है और यह चुम्बकीय शक्ति सिर्फ त्राटक का अभ्यास करके ही प्राप्त की जा सकती हैं। त्राटक के द्वारा ही मन को एकाग्र करके मनुष्य अपने मन पर नियंत्रण स्थापित कर सकता है ।आहार – विहार की शुद्धि , विचारों में सात्विकता , प्राणायम ,त्राटक और ध्यान का नियमित अभ्यास तथा असीम धैर्य और विश्वास के संयुग्मन से सम्मोहन विद्या को पूर्णता के साथ आत्मसात किया जा सकता हैं। वैसे पश्चात्यवेत्ताओ के मतानुसार सिर्फ प्राणायाम व त्राटक साधना करके भी सम्मोहन सीखने में कोई हानि नही है।।।।।।।।।
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