जाने श्री हनुमान जी पर सिंदूर चोला क्यों चढ़ाया जाता है
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अदभूत रामायण में एक कथा प्रसिद्ध है कि श्री हनुमान जी ने जगजननी श्री जानकी के सीमंत में सिंदूर लगा देखकर आश्चर्य पूर्वक पूछा कि माता आपने यह लाल दव्य मस्तक पे क्यों लगाया है श्री. जानकी जी ने ब्रम्हचारी हनुमान जी कि इस सीधी साधी बात पर प्रसन्न होकर कहा पुत्र इसके लगाने से मेरे स्वामी कि दीर्धायु होती है. श्री हनुमान जी यह सुना तो बहुत प्रसन्न हुऐ और विचार किया कि जब ऊँगली भर सिंदूर लगाने से आयुष्य वृद्धि होती है. तो फिर क्यों न सारे शरीर पर इसे पोतकर अपने स्वामी को अजर अम्र ही बना दूँ वैसे ही किया सारे शरीर पर सुंदर पोतकर सभा में पहुंचे तो भगवान उन्हें देखके इतने हसे कि शायद ही कभी इतने हसे होंगे.
श्री हनुमान जी की माता जानकी के वचनों में इससे और भीं अधिक बिस्वास हुआ कहा जाता है कि उस दिन से हनुमान जी कि इस उदात्त -भक्ति के स्मरण में उनके शरीर पर सिंदूर का चोला चढ़ाया जाने लगा ! इस कथानक से यह सहेज मैं ही समझ आ जाता है कि त्रेतायुग युग मैं भी स्त्रियों के सीमंत में सिंदूर लगाने का शास्त्रीय विधान प्रचलित था ! इसका क्या हेतु है ! प्रसंगवश यहाँ रहस्य प्रकट करना अनावश्यक न होगा !
मांग मैं जिस स्थान पर सिंदूर लगाया जाता है वह स्थान ब्रह्मरंध और अधिप नमक मर्म के ठीक ऊपर का भाग है स्त्री के सहरीर मैं यह भाग चूंकि पुरुष कि अपेक्षा विशेष कोमल होता है अतः उसकी संरक्षा के लिए शास्त्र कारो ने सिंदूर का विधान किआ है सिंदूर में पारा जैसी अलभ्य धातु बहुत मात्रा मैं होती है ! वह स्त्री शरीरस्थ वैद्युतिक उत्तेजना को भी कंट्रोल मैं नहीं रखता , बल्कि मर्मस्थान को बाहरी दुष्प्रभाव से बचता भी है !
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सामुद्रिक शास्त्र के अनुशार यदि स्त्रियों के सीमांत में अथवा भृकुटि केंद्र में “नागिन ” रेखा पड़ी हो तो वे ददुर्भगा रहती है कई बाल विधबाओ के सीमांत स्थल मैं बालों कि भंवरी =आर्वत) प्रत्यक्ष देखि जाती है !
सो, इस दोष कि निवृत्ति के लिए सिंदूर द्वारा उसे आच्छादन करना बताया गया है !
काम काज और बच्चो को सम्भाल मैं नित्य शिर ना धो सकने वाली स्त्रियों के बालो मैं प्रायः जून लिख आदि जीव भी पड़ जाया करती है उनके हटाने कि अमोघ औषद्धि भी पारद है सो सीमन्त मैं सिन्दूर रहते उक्त जीवो का कुछ भी खतरा नहीं रहता !
स्त्रियों के बाल प्रदेश मैं सिंदूर कि बिंदु जहाँ सौभाग्य का प्रधान लक्षण समझ जाता है वहां इसमें सौन्दर्य भी पड़ जाता है स्वामी दयानन्द ने अपने सत्यार्थ प्रकाश मैं अपनी आदत से विवश होकर टिकक का भरपेट खंडन किआ है और जितनी लचर दलीले हो सकती थी बे सब कि सब वहां दे डाली परन्तु नगर कीर्तन के समय युक्तप्रान्त के सामाजिक पुरुष और सदैव सब प्रांतो कि आर्य समजन स्त्रियों आज भी अपने भाल को सनातन धर्म कि इस चाप मैं से उन्मुक्त ना कर सकीं. !
पिछले कुछ दिनों मैं से गुजरात महाराष्ट्र मद्रास और बंगाल आदि देशो कि स्त्रियों के मस्तक मैं निरंतर भाल बिंदु सजा देखकर पंजाब पश्चिमी युक्त प्रान्त और देहली तथा मारवाड़ प्रान्त कि स्त्रियों ने भी मस्तक मैं नित्य सिंदूर लगाने अनिवार्य बना लिया है सिनेमा कि नाटिये तक भी सौन्दर्य के चिन्ह के अपनाने मैं अपनी लालसा का संवरण न कर सकीं !
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English
Why is Sindoor Chola being given to Shri Hanuman Ji.
A story is famous in the Awesome Ramayana that Shri Hanuman Ji, wondering why Jagannani felt a vermillion in the margin of Shri Janaki, why did the mother have applied this red dual head to you? Shri Janki Ji, Brahmchari Hanuman Ji, pleased with this simple fact The son said, this is my lord, who is impatient.
When Shri Hanuman heard this, he was very pleased and thought that when the weight of the vermilion increases with the finger, then why do not we all make it on the body and make our lord as a mirror just like we did in the beautiful vessel on the whole body When he arrived, God saw so many laughs that seldom would be laughing so much, In the words of Shri Hanuman ji’s mother, Janki, it is said that even more Biswas is that from that day, Hanuman Ji, from that day remembered the sublime charity of the vermillion of his body!
It is understandable that I save this story, that even in the Tretayug era, the classical law of Vermilion was present in the women’s front! What is it for! Incidentally, it would not be unnecessary to reveal the secret here!
The place where vermilion is imposed is the place on the right side of the Brahmand and Adip Salt Karma. This part is the part of the woman because it is very gentle to the male, so for her protection, The science of the vermillion is the law of the vermillion; I am very rich in mercury like mercury in Vermilion! She does not control the woman’s anatomic electrical stimulation, but she also avoids the external side effects of Marmasthan!
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If there is a “serpent” line in the women’s frontier or in the center of Bhurkuti then they are preserved in the boundary of the maritime system. The hairstyles of many hair widows are found in the front of the hair, Bhanwari = Aarvat is seen directly! So, this flaw has been told to cover it with vermilion!
Handling the work and the children. I have always been able to wash the teeth of women who can not wash me. I often write a June, etc. The creatures also fall, their remedies that the impotent medicines are also mercurial, so say I live in silent There is no threat to life!
In the hairstyle of women the point of Vermilion where the main characteristic of good fortune is understood beauty is also found in it. Swami Dayanand has rebuked the stomach of his life due to his habit, and the more lucky ones could be. That all gave it there but the social men of the time of the time of the town of Kirtan and always, all the states that Arya Samjan women still maintain their respect Neither religion nor can I unleash this arc from me!
In the last few days, from Gujarat, Madras , and Bengal etc. I have seen continuous Bhart Point Punishment in the head of women. in the western region of Punjab and in Delhi and Marwad province. women have also made mandir to make regular vermilion mandatory for cinema dramas. I could not cover my longing for adoption!
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