जानें ग्रह प्रवेश क्यों किया जाता है – Book Panditji for Griha Pravesh
बारात सकुशल वापिस लौट आई,नव-वधु ने पति के घर में पदार्पण किया और उसके स्वागत का समारोह होने लगा ।
स्त्रियों ने मिलकर वधु को गाढ़ी से उतयर ओर अपने ह्रदय में उमड़ने वाले आनंद को गीतों में प्रकट करती हुई उसे घर ले चलीं।
उसके शिर पर पीपल की हरी टहनी ओर नेता (बिलोनी की रस्सी) से युक्त जलपूर्ण कलश रखकर द्वार पर लाया जाता है जहाँ उसका सुवागत अभिनंदन किया जाता है।
द्वार पर प्रथम इस्थापित चोखी पर खड़ा करके मां अपने वस्त्र के आंचल से उसे मिलती है। सिर पर स्थित कलश के जल को उसके उप्पर वारकर स्वेम पान करती है।
कुछ जल पी चुकने के बाद लाड़ला बेटा मां को पूर्ण जल पीने से रोखता है। इस रस्म के अनंन्तर दम्पत्ति घर प्रवेश में प्रवेश करना हि चाहते है, किन्तु बहने आगे आकर उनका दुवार रोक लेती हैं।
समुचित दकच्छना मिलने पर उन्हें घर मे प्रवेश करने की अनुमति मिलती है। यह सब प्रथाएं यद्यपि आज देखने सुनने में हमें गोराखधनदी सी मालूम होती हैं परंतु विचार करने पर हमें ज्ञात होता है कि किसी समय ये बढ़े महत्व की रही होगी।
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वधु शिरस्थ कलश, स्वस्थ प्रेम, सम्रद्धि ओर मर्यादा का प्रतीक है।
सभी परिजनों की यह कामना होती है की नंवागत वधु जोकि प्रथम वार इस घर में प्रवेश कर रही है अपने साथ स्वास्थ प्रेम आदि को लेकर आय। आक्सीजन या प्राणप्रद तत्वों से परिपूर्ण पीपल की हरी ढली स्वस्थ एवं बल की प्रतीक है।
जल स्निग्ध पदार्थ है, बिखरे हुए कडों को एक रूप कर देना उसका कार्य है। यह वधु के उस प्रेम का प्रतीक है जिसके दुवारा उसे बिखरे परिवार को संयुक्त कर रखना है।
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नेता, परिवारिक समृद्धि का सूचक है, क्योंकि वह उसी घर मे होता है जो दूध दही से भरपूर हो और वह पात्र जिसने प्रेम रूपी जल को धारण किया है मर्यादा का सूचक है।
एक आदर्श भारतीय ग्रस्थ को स्वास्थ्य, प्रेम,समृद्धि और मर्यादा इन्ही चार वस्तुओं की आवश्यक होती है सो प्रतीक-वाद का आश्रय लेकर परिजनादि, वधु से इन्ही चार वस्तुओं की कामना करते हैं और वधु भी मस्तक पर इन्हें धारण कर प्रवेश करती हुई इस शुभकामना का अभिनंदन करती है।
इस अवसर पर बहन द्वारा द्वारावरोध ननद ओर भोजाई के पारस्परिक परिचय का साधन है अनेको इस्त्रियों से मिली हुई ननद का इस रस्म द्वारा सबसे भिन्न रूप में परिचय हो जाता है तथा वह दाय भाग भी प्राप्त कर लेती है।
Know why the planet is admitted – – Book Panditji for Griha Pravesh
The wedding procession came back, the newly-groom made her husband’s home and started celebrating her reception. Together, the women took the bride to her house by expressing herself in songs and expressing joy in her heart.
At its head, the yellow twig is brought to the door by keeping the water-filled urn with the twig and the leader (the ribbon of Biloni) where its good news is congratulated.
By standing on the first installed charcoal at the door, the mother gets her from the sphere of her clothes. The water of the kalash which is located on the head drinks its upper warkar swame.
After drinking some water, ladra son prevents mother from drinking whole water. They want to enter the home couple’s entry into the house, but the sisters come forward and stop their duality.
They get permission to enter the house when they get proper treatment. Although all these practices, we know the horoscope of hearing in today’s hearing, but after considering it, we know that it may have been of great importance at some point of time.
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Bride is a symbol of eternal heaven, healthy love, prosperity and dignity. It is a wish for all the kin that the newly married bride, who is entering the house for the first time, earns her with health, love and so on.
The green mold of Peepal, full of oxygen or primal elements, is a symbol of health and strength.
Water is an addictive substance, it is his job to make scattered buds a form. It is a symbol of the bride’s love through which she has to keep the scattered family together.
Leader is an indicator of family prosperity, because it happens in the same house that the milk is full of curd and the person who has embraced love is indicative of the limit.
An ideal Indian partner is required of these four things for health, love, prosperity and dignity, so seek refuge with symbolism and wish for these four things from Paranjani, bride and bridegroom, enter them by wearing these wishes.
Congratulations on this occasion, by means of the introduction of sister-in-law on behalf of sister-in-law and the introduction of Bhojai, a lot of different kinds of identities are introduced by this ritual, and it also receives part of the obligation.
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