जानें नामकरण संस्कार क्यों किया जाता है – Book Pandit for Naamkaran
उपरोक्त भूमिका से नामकरण की आवश्यकता तथा अच्छा नाम रखकर कैसे हम मनुष्य की दुष्टप्रवर्ती का सुधार कर सकते हैं यह तो स्पष्ट हो गया किन्तु प्रश्न हो सकता है प्रत्येक बालक का नाम तो स्वभावतया उसके मां बाप रक देते हैं इसके लिए नामकरण संस्कार जैसे उत्सव की आवश्यकता क्यों इसका उत्तर कुछ कठिन नही है, इस संस्कार का उद्देश्य वर्णन करते हुए मनु जी महाराज ने कहा है कि नामकरण के दो प्रयोजन है 1 आयु और तेज की व्रद्धि 2 सांसारिक व्यवहार में नाम का उपयोग, यथा
आयुवर्चोभिवर्धिस्च सिद्धिर्व्य वहरतेस्तथा।
इन दोनों प्रयोजनों के लिए सचमुच एक उत्सव के रूप में ही नामकरण की आवश्यकता है अपने स्वजन सम्बन्धी गुरुजन एवं मित्रों की उपस्तिथि में इस संस्कार का विधान है इसका अभिप्राय यही है कि उन सबकी उपस्तिथि में नाम रखने से अधिक से अधिक लोगों में नाम प्रसिद्ध हो जायेगा और लोग उसे जल्दी ही जान जाएंगे वह समस्त एकत्रित सज्जनों की शुभ कामनाएं ओर आशीर्वाद का पात्र बनेगा जो उसके दीर्घायु में सहायक होगी। अधिक से अधिक जनता में नाम की ख्याति तथा प्रियता तेजस्विता का लच्छड़ है इसलिए मनुजी ने नामकरण संस्कार द्वारा आयु और तेज की व्रद्धि बतलाई गई है संस्कार का दूसरा उद्देश्य व्यवहार सिद्धि कहा गया है।सांसारिक व्यवहार संचालनार्थ प्रत्येक बालक का कुछ न कुछ तो नाम रखना पड़ेगा ही । यदि माता ने विधिपूर्वक कोई नामकरण न किया तब भी लोग या तो जन्म वार की कल्पना से मंगलू, बुद्धू,वीरू आदि,या जन्मतिथि के अनुसार ग्यारसा,पुन्नू,दोजीराम आदि ओर नही तो साधारण रूपेण मुन्ना काका आदि कुछ न कुछ रख ही लेंगे।परन्तु इससे न तो किसी एक नाम का निश्चय होगा न बालक को कोई निश्चय नाम ही सकेगा, कोई उसे बुद्धू कहेगा कोई तो कोई कूड़ामल।इन सब झंझटों से बचने के लिए क्या यह अधिक उपयुक्त न होगा कि एक निश्चित समय पर बालक का यथाविधि नामकरण संस्कार किया जाय।
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Learn why the naming ceremony is done – Book Pandit for Naamkaran
With the need of nomenclature and good name by the above mentioned role, how can we improve the evil of man, it became clear, but the question can be that the name of each child is nature itself and its parents make it necessary to celebrate the naming ceremony. Why this answer is not difficult,
Describing the purpose of this sacrament, Manu Maharaj has said that there are two purposes of naming 1 age and fasting 2, use of the name in worldly behavior, as inBirthday celebration.
For these two purposes, there is a need of naming only in the form of a celebration. It is the law of this sacrament in the presence of their relatives and friends. It means that by keeping a name in their presence, more and more people will be famous. And people will know it soon. It will be auspicious for all the collective gentlemen and blessings that will be helpful in its longevity. Ogi.
In the greater publicity, the reputation of the name and the lavishness of fame is the lizards. Therefore, the naming ceremony is said to have been brought about the development of age and fast. The second purpose of the sacrament has been called the practice siddhi.
To name a few, Only will it Even if the mother did not give any nomenclature, even then people would either keep anything from the imagination of birth anniversaries like Mangalu, Budhu, Viru etc, or Gayarasa, Punnu, Dojiram etc., or otherwise, ordinary folk, Munna Kaka etc. according to birthdays. But it will not be the determination of any one name or any decision will be given to the child, no one will call him a stupid person, no one is litter. To avoid all these troubles, will it not be more suitable that the child’s nomenclature at a given time To be performed.
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